सबसे पहला तरीका है आपके घर में जिस भी कोने में जिस भी दीवाल में जिस भी जगह छिपकलियां आती हैं आप वहां पर लहसुन की एक दो कलियां रख दें
दूसरा जो सबसे कामयाब तरीका है वह यह है कि अपने घर को साफ सुथरा रखें और घर को चूने से पुताई करें और आपके कमरे में जो छेद हैं जिनसे छिपकलियां आती हैं या जिन में छुपती हैं उनको बंद कर दें
छिपकलियां भगाने का एक और बहुत ही असरदार तरीका है वह यह कि आप अगर मोर के पंख पा जाते हैं तो अपने घर में उन जगहों पर रख दें जहां पर छिपकलियां आती हैं मोर के पंखों को देखकर छिपकलियां इसलिए भाग जाती हैं क्योंकि मोर छिपकलियों को खा जाते हैं और मोर के पंख रखने से एक और फायदा होगा अगर आपके घर में सांप भी आ जाते हैं तो वह भी भाग जाएंगे क्योंकि मोर सांपों को भी खा जाता है
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अपनी पहली ही कैबिनेट मीटिंग में अपने मैनिफेस्टो का एक बड़ा अहम वादा पूरा कर दिया था. प्रदेश के किसानों का कुल 36 हज़ार 359 करोड़ रुपए का कर्ज़ माफ कर दिया गया है. बात किसानों से जुड़ी हुई है तो सबने इस कदम का स्वागत किया, विपक्षी पार्टियों ने भी तारीफ की. लेकिन गुरुवार को इस फैसले पर पहली नकारात्मक प्रतिक्रिया आई रिज़र्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की ओर से.
उर्जित ने मॉनीटरी पॉलिसी को लेकर हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इस तरह लोन माफ कर देने से देश में ‘ऑनेस्ट क्रेडिट कल्चर’ को नुकसान पहुंचता है. मतलब ईमानदारी से लोन चुकाने वालों को ठगा हुआ महसूस होता है और लोन न चुकाने वाले लोगों को ऐसा करते रहने का कारण मिल जाता है. ये सही नहीं है और ऐसे कदमों से देश की अर्थव्यवस्था पर फर्क पड़ सकता है.
लोन माफी योगी कैबिनेट का पहला फैसला था.
उर्जित पटेल भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर हैं. देश की अर्थव्यवस्था से जुड़े सारे बड़े फैसलों में उनका दखल होता है. और उनका बयान देश में सबसे ज़्यादा लोगों को रोज़गार देने वाले सेक्टर यानी खेती-बाड़ी से जुड़ा था. इस तरह ये बयान बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है. इस पर बात होनी चाहिए. लेकिन किसी भी तर्क-वितर्क से पहले एक बात साफ कर ली जाए. एक बैंकर की हैसियत से उर्जित पटेल का बयान अपनी जगह ठीक है. वे चाहते हैं कि लोग बैंक से पैसा लें तो वापस भी करें. इसमें कुछ गलत नहीं है.
लेकिन कई बार इस बात को खींचतान कर वहां ले जाया जाता है जहां से किसानों को मिलने वाली हर छूट (चाहे वो सब्सिडी हो या लोन माफी) पर नाक-भौं सिकोड़ी जाती है. बयान उर्जित का है, लेकिन कई लोग उनसे इत्तेफाक रखते हैं. इसीलिए हम कुछ तर्क पेश कर रहे हैं जिससे उर्जित के बयान को एक नई रोशनी में देखा जा सकेः
# लोन माफी का आंकड़ा भले 36 हज़ार 359 करोड़ जितना भारी भरकम हो, इस बात पर ध्यान ज़रूर दिया जाए कि ये फायदा 94 लाख किसानों में बंटा हुआ है. तो एक बहुत बड़ी संख्या में लोगों को राहत मिली है. एक किसान के औसतन 38 हज़ार 680 रुपए माफ हुए. ये बड़ी रकम कतई नहीं कही जा सकती. इस तरह ये एक औसत कॉर्पोरेट बेलआउट से अलग है. वहां फायदा कर्मचारियों में कम बंटता है, कंपनी की बैलेंस शीट में ज़्यादा दिखता है.
# 94 करोड़ किसानों के आंकड़े से ये न समझा जाए कि किसान आदतन कर्ज़ नहीं चुकाते. खेती के लिए जितने लोग कर्ज़ लेते हैं, उनमें से महज़ 8 फीसदी डिफॉल्टर निकलते हैं. जान लें कि कॉर्पोरेट लोन के मामले में ये आंकड़ा 12 फीसदी तक जाता है. यही नहीं, ज़्यादातर बड़े कर्ज़ कॉर्पोरेट्स के लिए ही होते हैं.
तमिलनाडु के किसान अपना कर्ज माफ कराने के लिए दिल्ली में प्रदर्शन करते हुए.
# माफ हुए लोन में सिर्फ 15 फीसदी ऐसा था जो एनपीए में आता था. इसका मतलब 85 फीसदी लोन बैंकों को चुकाया जा रहा था. 94 लाख में से महज़ 7 लाख किसान ऐसे थे जो लोन नहीं चुका रहे थे. इन पर 5,630 करोड़ बकाया था.
# एक बात ये भी है कि किसानों को असल में जितनी छूट मिलती है, उसका प्रचार उस से ज़्यादा होता है. सरकारें किसानों के लोन माफ करते वक्त खूब शोर मचाती हैं. क्योंकि इससे उन्हें चुनावी फायदा पहुंचता है. इसके ठीक उलट बड़े उद्योगों का कर्ज़ माफ करने का काम बड़े चुप-चाप होता है. हमें तब ही पता चलता है जब कोई अखबार कहीं से खबर खोद लाता है. रिलायंस को 2019 तक सरकारी बैंकों के 16000 करोड़ चुकाने थे. अब उसे 2030-31 तक की मोहलत मिल गई है. बताएं, आपको पता था?
कृषि आज भी सबसे ज़्यादा लोगों को रोज़गार देता है.
# एक तर्क ये भी दिया जाता है कि किसानों की कर्ज़ माफी उदार अर्थव्यवस्था (लिबरल इकॉनोमी) के सिद्धांतों के खिलाफ है. लेकिन दुनिया के सारे विकसित देश खेती पर तगड़ी सब्सिडी देते हैं. उदार अर्थव्यवस्था के ठेकेदार अमेरिका ने सिर्फ 2016 में इस सेक्टर को 1 लाख 72 हज़ार 500 करोड़ की सब्सिडी दी थी. लोन माफी और सब्सिडी अलग-अलग होते हैं. लेकिन इनका असर एक सा ही होता है. ये दोनों किसानों को मुश्किल से उबारते हैं.
# ‘लोन डिफॉल्टर’ कहते समय एक किसान और एक उद्योगपति एक ही शब्द में समा जाते हैं. लेकिन आसानी से समझा जा सकता है कि ये दोनों डिफॉल्टर काफी अलग ज़िंदगियां जीते हैं. एक लोन डिफॉल्टर किसान की हालत में कमोबेश कोई बदलाव नहीं होता. लेकिन बैंकों का पैसा डकारने के बाद मज़े करते हुए कॉर्पोरेट जगत के (पूर्व) दिग्गज हम सबने देखे हैं.
यहां कहना ये नहीं कि देश में एक ऐसा माहौल तैयार हो जाए जहां राजनेता टैक्स के पैसे से बंदर-बांट करके वोट बटोरें और न ये कि किसानों का लोन न लौटाना सही है. हम सिर्फ इस बात पर ध्यान दिलाना चाहते हैं कि किसानों की कर्ज़ माफी के बारे में जल्दबाज़ी में धारणा
बेटे भी घर छोड़ के जाते हैं..
अपनी जान से ज़्यादा..प्यारा लेपटाॅप छोड़ कर...
अलमारी के ऊपर रखा...धूल खाता गिटार छोड़ कर...
जिम के सारे लोहे-बट्टे...और बाकी सारी मशीने...
मेज़ पर बेतरतीब पड़ी...वर्कशीट, किताबें, काॅपियाँ...
सारे यूँ ही छोड़ जाते है...बेटे भी घर छोड़ जाते हैं.!!
अपनी मन पसन्द ब्रान्डेड...जीन्स और टीशर्ट लटका...
अलमारी में कपड़े जूते...और गंध खाते पुराने मोजे...
हाथ नहीं लगाने देते थे... वो सबकुछ छोड़ जाते हैं...
बेटे भी घर छोड़ जाते हैं.!!
जो तकिये के बिना कहीं...भी सोने से कतराते थे...
आकर कोई देखे तो वो...कहीं भी अब सो जाते हैं...
खाने में सो नखरे वाले..अब कुछ भी खा लेते हैं...
अपने रूम में किसी को...भी नहीं आने देने वाले...
अब एक बिस्तर पर सबके...साथ एडजस्ट हो जाते हैं...
बेटे भी घर छोड़ जाते हैं.!!
घर को मिस करते हैं लेकिन...कहते हैं 'बिल्कुल ठीक हूँ'...
सौ-सौ ख्वाहिश रखने वाले...अब कहते हैं 'कुछ नहीं चाहिए'...
पैसे कमाने की होड़ में...वो भी कागज बन जाते हैं...
सिर्फ बेटियां ही नहीं साहब...
. . . . बेटे भी घर छोड़ जाते हैं..!
अगर आपके बैंक अकाउंट से आधार कार्ड लिंक नहीं है तो आपका अकाउंट बंद हो सकता है। जो बैंक खाते 2014 से अगस्त 2015 के बीच खुले हैं, उन्होंने 30 अप्रैल तक अपना केवाईसी डीटेल्स और आधार नंबर बैंक या संबंधित वित्तीय संस्थानों को नहीं दिए तो खाते बंद हो सकते हैं।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कहा कि इन खातों के निर्बाध संचालन के लिए 30 अप्रैल तक फॉरन टैक्स कॉम्प्लायंस ऐक्ट (एफएटीसीए) नियमों के तहत उपर्युक्त जरूरी जानकारियों को सेल्फ सर्टिफाइ (स्व-अभिप्रमाणित) भी करना होगा।
अगर खाताधारक ये डीटेल्स या स्व-अभिप्रमाणन मुहैया कराने में नाकामयाब रहे तो बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों के पास खातों को ब्लॉक करने का अधिकार होगा। हालांकि, ब्लॉक करने के बाद डीटेल्स देने पर खाते फिर से चालू हो जाएंगे। यह प्रावधान उन्हीं खातों पर लागू होंगे जो एफएटीसीए नियमों के दायरे में आते हैं।
जुलाई 2015 में भारत और अमेरिका ने एफएटीसीए पर दस्तखत किए। यह अमेरिका का नया कानून है जिसके लक्ष्य दोनों देशों के बीच वित्तीय सूचनाओं का स्वतः आदान-प्रदान की व्यवस्था की गई है ताकि टैक्स चोरों के बारे में जानकारी साझा की जा सके। इसी आलोक में बैंकों एवं अन्य वित्तीय संस्थानों से खाताधारकों से स्व-अभिप्रमाणन प्राप्त करने को कहा गया है ताकि 1 जुलाई 2014 से 31 अगस्त 2015 के बीच खुले खातों को नियमों के दायरे में लाया जा सके।
नीम के सभी अंग अर्थात् पत्ते, फूल, फल, छाल, शाखाएं आदि औषधि के रूप में प्रयोग किए जाते हैं। नीम के फल (निम्बोली) से बीज निकलता है जिससे तेल मिलता है। नीम के तने से गोंद मिलता है। ये भी दवा के रूप में प्रयोग किए जाते हैं।
# कुष्ठ रोग के उपचार: उपदंश और कुष्ठ के उपचार के लिए इसे सर्वोत्तम औषधि माना गया है। होम्योपैथी के अनुसार पुराने जीर्ण रोगों के लिए सबसे अच्छी दवा नीम है। नीम का तेल जोकि गंध व स्वाद में कड़वा होता है प्रथम श्रेणी की कीटाणुनाशक होता है।
# गर्भनिरोधक: वैज्ञानिकों के अनुसार यह दुर्गन्धनाशक, वातहर तथा शीतपित्त, कुष्ठ तथा पायरिया जैसे रोगों में बहुत लाभकारी होता है। नीम एक अच्छा गर्भनिरोधक भी माना जाता है।
# बवासीर: बवासीर जैसे कष्टकारी रोग के इलाज के लिए नीम तथा कनेर के पत्ते बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें। इस मिश्रण को प्रभावित भाग पर लगाने से कष्ट कम होता है। रोज सुबह निबोरियों का सेवन करने से भी आराम मिलता है। प्रभावित अंग पर नीम का तेल भी लगाया जा सकता है।
# बुखार या मलेरिया: इस बीमारी में नीम का काढ़ा दिया जा सकता है। इस काढ़े को बनाने के लिए एक गिलास पानी में नीम के पत्ते, निम्बोली, काली मिर्च, तुलसी, सोंठ, चिरायता बराबर मात्रा में डालकर उबालें। इस मिश्रण को इतनी देर उबालें जिससे कि आधा पानी वाष्प बनकर उड़ जाए।
# कान का बहना: रात को सोते समय इस मिश्रण की एक−दो बूंद लेने से कान का बहना रुकता है। गुनगुने नीम के तेल की दो−तीन बूंदें कान में टपकाने से कान के दर्द में राहत मिलती है।
# दस्त में आराम: नीम की पत्तियों को सुखाकर शक्कर मिलाकर खाने से दस्त में आराम मिलता है। पेट के कीड़ों को नष्ट करने के लिए नीम के पत्तों के रस में शहद और काली मिर्च मिलाकर दिया जाना चाहिए।
अगर आप भी अपने बच्चे का दिमाग तेज करना चाहते हैं, तो उसे खाने में चुकंदर जरूर खिलाएं। इसमें नेचुरल नाइट्रेट्स होते हैं जिससे दिमाग में ब्लड फ्लो बूस्ट होता है। यहां पढ़ें चुकंदर की पूड़ी की रेसिपी -
सामग्री -
चुकंदर (टुकड़ों में कटा हुआ ) – 1 कप
गेहूं का आटा – ज़रुरत के अनुसार
अदरक – 1/2 इंच का टुकड़ा
लहसुन – 4-5
हरी मिर्च – 1
नमक – स्वादानुसार
लाल मिर्च पाउडर – स्वादानुसार
तेल – 1/2 टीस्पून
तेल- तलने के लिए
विधि -
- चुकंदर की पूड़ी बनाने के लिए, चुकंदर को 1/2 कप पानी और नमक के साथ प्रेशर कूकर में तेज आंच पर 1 सीटी आने तक पका लें।
- जब चुकंदर ठंडा हो जाए तब उसे पानी सहित अदरक, लहसुन और हरी मिर्च के साथ मिक्सी में पीसकर प्यूरी बना लें।
-एक बर्तन में चुकंदर की प्यूरी लें, उसमें गेहूं का आटा डालें, उतना ही आटा डालें जितना प्यूरी के साथ गूंथा जाए, आटा गूंथते समय अलग से पानी नहीं डालना चाहिए।
- फिर इसमें स्वादानुसार नमक, लाल मिर्च पाउडर, 1/2 टीस्पून तेल डालकर, कड़ा आटा गूंथ लें और ढककर 15-20 मिनट के लिए रख दें।
- गूंथे आटे को छोटे हिस्सों में बाट लें (नींबू के साइज के बराबर)। फिर नींबू की तरह गोल करें और चपटा कर लें।
- चकले पर चपटी लोई को रखकर बेलन की मदद से छोटी पूड़ी की तरह बेल लें।
- कड़ाही में तेल गरम करें, चकले से बेली गई पूड़ी उठाएं और मध्यम आंच पर तेल में डालकर उसे सब तरफ से गोल्डन ब्राउन और कुरकुरे होने तक तलें।
- चुकंदर की पूड़ी तैयार है, इसे किसी भी अचार के साथ परोसें ।
जीवनचर्या दिनचर्या का शुभारंभ सूर्योदय से होता है। सूर्य प्रत्यक्ष ब्रह्ममूर्त है। सूर्य सृष्टि के आत्मा ग्रह है। चन्द्रमा सृष्टि में मन का कारक है। पृथ्वी सृष्टि में सभी प्राणियों की जननी है। यह सृष्टि जिससे उत्पन्न हुई जिससे पलती है पोषित होती है जिससे इसका संहार होता है, इन तीनों नियमक तत्वों का मानव जीवन में प्रथम स्थान है।
घर में सुख-समृद्धि बनाए रखने के लिए पुराने समय से ही कुछ परंपराएं चली आ रही हैं। इन परंपराओं का ध्यान आज भी रखा जाए तो सकारात्मक फल प्राप्त किए जा सकते हैं। यहां जानिए रोज सुबह कौन-कौन से परंपरागत काम करने घर में देवी लक्ष्मी के साथ ही सभी देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त की जा सकती है। सुबह उठते ही अपनी हथेली देखनी चाहिए, मान्यता यह है कि इस काम से महालक्ष्मी, सरस्वती के साथ ही भगवान विष्णु की भी कृपा मिलती है। सुबह पलंग से पैर नीचे रखने से पहले भूमि को प्रणाम करना चाहिए। साथ ही, क्षमा भी मांगे, क्योंकि धरती पर पैर रखने से हमें दोष लगता है।
शय्या पर प्रात:काल निद्रा खुलते ही श्रीहरि तत्सत् या ईष्ट देवता का स्मरण करना चाहिए। हथेली को देखते हुए उंगली के अग्रभाग में लक्ष्मी, हथेली के मध्य में सरस्वती और मणिबंध में ब्रह्मा का दर्शन करके प्रणाम करना चाहिए। बिस्तर से उतरने के पूर्व या तत्काल बाद दाहिनी हथेली से पृथ्वी का स्पर्श करते हुए प्रणाम करना चाहिए। हे विष्णुपत्नी पृथ्वी माता, समुद्र आपके वस्त्र हैं, पर्वत आपके स्तनमंडल हैं, जननी, आपको प्रणाम है। मेरे द्वारा पैरों से स्पर्श करने के कृत्य को क्षमा करें मां। बिस्तर पर से उठ कर पृथ्वी मां को प्रणाम करने के तत्काल बाद मल-मूत्र का विसर्जन करना चाहिए। मल, मूत्र, छींक, उबासी, खांसी में एक प्रकार का वेग होता है। शरीर के भीतर स्थित वेग को रोकना हानिकारक होता है। अत: शरीर से इन्हें शीघ्र बाहर निकाल देना चाहिए या निकल जाने देना चाहिए।
घर के मंदिर में मूर्तियां और पूजा का सामान सही ढंग से सजा हुआ होना चाहिए। इससे देवी देवता प्रसन्न होते हैं, कुंडली के दोष भी शांत हो सकते हैं। रोज सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। इस उपाय से घर परिवार और समाज में मान सम्मान की प्राप्ति होती है और सूर्य से संबंधित दोष दूर होते हैं। रोज सुबह जब भी रोटी बने तो पहली रोटी गाय के लिए निकाल लेनी चाहिए। जब हमारे घर के आसपास गाय आए तो उसे ये रोटी खाने को दें
भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की कोर्ट द्वारा दी गई फांसी की सजा को पाकिस्तान ने अभूतपूर्व फैसला बताया है। पाकिस्तान मीडिया का कहना है कि कोर्ट का यह फैसला अभूतपूर्व है और इस पर भारत को शांत रहना चाहिए, क्योंकि यह सबूतों और गवाहों के आधार पर किया गया फैसला है। इतना ही नहीं पाकिस्तान के न्यूज चैनल जियो टीवी के जाने-माने संपादक हामिद मीर ने एक कदम आगे बढ़कर जाधव की तुलना मुंबई हमले के पाकिस्तानी आतंकी अजमल कसाब से कर डाली।
हालांकि ऐसा करते समय वह यह भूल गए कि कसाब आतंकी था जिसने मुंबई में मासूमों के खून से अपने हाथ रंगे थे। इस दौरान वह यह भी भूल गए पाकिस्तान की सरकार की सरपरस्ती में वहां चलते वाले आतंकी कैंपों में ही उसको ट्रेनिंग भी दी गई थी। वह यह भी भूल गए कि जिन आतंकियों के हिमायतियों को वह पाले हुए हैं उन्होंने ही कसाब जैसे कई और लोगों को भारत में दहशत फैलाने और मासूमों का खून बहाने की ट्रेनिंग दी है और लगातार दे रहे हैं।
इस संबंध में अपनी प्रतिक्रिया स्वरूप उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की कोर्ट ने यह फैसला सबूतों और गवाहों के आधारा पर सुनाया है। पाकिस्तान को चाहिए कि वह इस मामले में मिले सबूतों को भारत और पूरी दुनिया से शेयर करे। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान को इस संबंध में भारत के रवैये की परवाह न करते हुए आगे बढ़ना चाहिए। उनका कहना था कि यदि लोगों को याद हो तो पाकिस्तान ने अजमल कसाब के मुद्दे पर खामोशी बरती थी। उस मामले में भारत की कोर्ट ने सबूतों और गवाहों को अाधार बनाते हुए उसको फांसी की सजा सुनाई थी। लेकिन पूरे मामले में पाकिस्तान चुप रहा था। लिहाजा भारत को जाधव को हीरो नहीं बनाना चाहिए और इस मामले में खामोश रहना चाहिए।
पाकिस्तान की राजनीतिक पार्टी पीपीपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व आंतरिक मंत्री रहमान मलिक ने भी मीर के सुर में सुर मिलाते हुए पाकिस्तान कोर्ट के इस फैसले को सही करार दिया है। उनका कहना है कि यदि कोर्ट ने जाधव को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई है तो पाकिस्तान को यह अधिकार है कि उसको फांसी दी जाए। इस संबंध में पाकिस्तान को किसी भी दबाव में नहीं आना चाहिए।
कुलभूषण जाधव को मिली फांसी की सजा को पाक मीडिया ने बताया 'अभूतपूर्व' निर्णय
अक्सर हम सभी के घरों में हर रोज 2-4 रोटी जरूर बच जाती है और उसे हम कूड़े में डाल देते हैं। पिछले जमाने में बासी रोटी को जानवरों के लिए रखा जाता था लेकिन अब शहरों में जानवर नहीं मिलते ऐसे में बहुत सारा अनाज हर रोज बर्बाद किया जाता है। ऐसे में आज हम आपको जो बताने जा रहे है उसे सुनकर शायद आप चौंक जाएंगे।
जी हां हम आपको बता दें कि जो बासी रोटी हम फेंक देते है उसे खाने से बहुत ही ज्यादा फायदा होता है ये खासकर उनके लिए है जो दिन भर भागदौड़ का काम करते है और उनको हाई बीपी का प्रॉब्लम है। ऐसे लोग अगर हर रोज सुबह गेहूं के 2 बासी रोटी को दूध में मिला कर खाएं तो उनका ब्लूडप्रेसर कंट्रोल हो जाता है और अगर आपको बीपी नहीं भी है तो कभी होने नहीं देता इसलिए आप हर रोज बसी रोटी जरूर खाएं और स्वस्थ्य रहें।
अगर आप सुबह कुछ न कुछ खा लेते हैं और फिर बाजार निकलते हैं तो गैस बनने लगता है अगर आप यही घर से निकलने से पहले सुबह सुबह अगर बासी रोटी दुध के साथ खा लेते हैं तो आपको गैस की प्रॉब्लम नहीं होती है। इस एसिडिटी से ही आपको तनाव और शुगर जैसी बिमारी का सामना करना पड़ता है। इसलिए जो लोग बासी रोटी साथ दूध का सेवन करके बाहर निकलते हैं उनका शुगर कंट्रोल में रहता है।
इतना ही नहीं जिन्हें पेट से संबंधित कोई समस्या है वो लोग अगर दूध के साथ बासी रोटी खाएं तो पेट की हर समस्या ठीक हो जाती है।
जिन्हें हाई ब्लड प्रैशर की समस्या है वो अगर रोज सुबह ठंडे दूध के साथ 2 बासी रोटी खाए तो शरीर का रक्त चाप संतुलित रहता है। इसके अलावा ज्यादा गर्मी के मौसम में भी इसका सेवन करने से शरीर का तापमान सही रहता है।
योगी आदित्यानाथ ने जबसे उत्तर प्रदेश में सत्ता की कमान संभाली है, कई कारोबारियों के बुरे दिन लग गए हैं। कारोबारियों का कहना है सीएम योगी ने एक ऐसा फरमान जारी कर दिया है जिससे इनकी लुटिया ढूब गई है।
दरअसल, योगी ऐसों के पीछे हाथ धोकर पड़े हैं जो प्रदेश को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं, फिर ये धंधा तो सीधे गंगा से जुड़ गया है। जो यूपी सरकार की नाक का सवाल बना है। यूपी चुनाव में गंगा को निर्मल करने के बड़े-बड़े वादे किए गए थे तो अब वक्त आ गया है उन्हें पूरा करने का। जानिए क्या है पूरा मामला...
जल प्रदूषण को लेकर सीएम योगी ने खास निर्देश देते हुए कहा है कि उत्तर प्रदेश में उन्हें काम बंद करने का आदेश दिया जाएगा जिसकी वजह से गंगा का पानी दूषित हो रहा हो। अब ये फरमान कई लोगों के लिए बड़ी आफत बनता नजर आ रहा है।
सबसे बड़ा झटका लगा है गंगा किनारे से बसी टेनरियों को। शिफ्टिंग के आदेश जारी हो चुके हैं। इसके बाद चमड़ा उत्पादन में भारी गिरावट दर्ज की गई है। जनवरी के दूसरे सप्ताह में उत्पादन 40 प्रतिशत था, जो मार्च के अंत तक सिर्फ 10 प्रतिशत रह गया।
प्रदेश सकार के शिफ्टिंग के फरमान के बाद अभी तक कुछ भी तय नहीं होने की वजह से टेनरी संचालक और उसमें काम करने वाले असमंजस में हैं। उनका कहना है कि सरकार सिर्फ शिफ्टिंग की बात कर रही है, लेकिन यह नहीं बता रही है कि कहां ले जाएंगे, कितनी जगह मिलेगी। यह भी परेशानी का सबब बना है।
सभी को शिफ्ट करेंगे या कुछ को। यही वजह है कि मार्च में विदेशों से मिलने वाले आर्डर पर भी रोक लग गई। जाजमऊ में गंगा किनारे करीब 400 टेनरियां स्थापित हैं। इसमें कुछ मानक पूरे नहीं करने की वजह से बंद करा दी गई हैं। इनकी संख्या करीब 100 है। बाकी टेनरियों में थोड़े बहुत काम चल रहा है। जनवरी से पहले जो आर्डर मिला था, वही काम चल रहा है।
अक्टूबर के बाद यह काम भी बंद हो जाएगा। प्रदेश में सपा की सरकार रहते हुए टेनरी संचालकों को लगातार यह आश्वासन दिया जाता रहा कि उन्हें दूसरी जगह नहीं ले जाएंगे। नई सरकार के आते ही सब कुछ बदल गया। जिससे टेनरियों में हड़कंप मच गया है।
कानपुर की जाजमऊ टेनर्स एसोसिएशन लगातार इस मसले पर अपनी बात एनजीटी (नेशनल ग्रीन टिब्युनल) में अपने वकील के माध्यम से रखा रहा है। एसोसिएशन के पदाधिकरी नैयर जमाल और फिरोज आलम का कहना है कि कुछ दिन और ऐसे रहा तो कामकाज ठप हो जाएगा।
17 से ढाई हजार हाइड आ गया चमड़ा
उत्पादन जाजमऊ की टेनरियों से रोजाना 17 हजार हाइड ( कच्चे चमड़े का एक पीस) चमड़े का उत्पादन होता रहा है। पिछले करीब दो महीने से यह गिरकर सिर्फ ढाई हजार हाइड तक आ गया है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अभी तक टेनरियों में चमड़े को भिगोने उसमें केमिकल मिलाकर साफ करने के लिए 10 करोड़ लीटर से भी ज्यादा पानी का प्रयोग होता रहा है। अब यह प्रयोग घटकर सिर्फ दो करोड़ लीटर तक आ गया है। इसी पानी को बाद में डिस्जार्च किया जाता है, जिससे गंगा में प्रदूषण फैलने की बात की जाती है।
भारत का धुरविरोधी कम्युनिस्ट देश चीन भले ही पाकिस्तान से जितनी भी हमदर्दी जता ले। लेकिन चीन में ही मुस्लिम बहुल प्रांत शिनजियांग में मुस्लिमों के लंबी दाढ़ी रखने और बुरका पहनने पर प्रतिबंध है। यहां नाबालिग मुस्लिम अपने बच्चों को जबरन किसी धार्मिक गतिविधि में शामिल होने के लिए बाध्य नहीं कर सकते हैं। लेकिन चीन के अपने घर में ही कुछ बगावती सुर बुलंद हो रहे हैं जो मुस्लिमों के लिए आवाज उठा रहे हैं। यहां के सोशल मीडिया में “मुस्लिम-विरोधी” भावनाएं तेजी से पनप रही हैं।
खबरों के मुताबिक अनहुई प्रांत की राजधानी हेफई में एक मस्जिद के निर्माण के दौरान गैर स्थानीय नागरिकों ने विरोध जताने के लिए जमीन के नीचे सुअर का कटा हुआ सिर गाड़ दिया था। इसके साथ ही साथ दर्जनों लोगों ने झंडे और बैनर के साथ भी विरोध प्रदर्शन किया। यही नहीं यहां की एक मस्जिद के इमाम को धमकी भरा संदेश भी मिला जिसमें लिखा था कि “तुम्हारे परिवार में कोई मारा जाए तो हम तुम्हें ताबूत उपलब्ध कराएंगे। अगर एक से ज्यादा ताबूत की जरूरत होगी तो वो भी देंगे।”
चीन में इन दिनों फैली हरकतों के लिए एक चीनी अधिकारी का नाम सामने आ रहा है। मुस्लिम बहुल शिनजियांग प्रांत से लगभग 2500 किलोमीटर दूर रहने वाले इस अधिकारी ने नए साल पर भी ऐसी ही हरकत की थी। उस समय भी मुस्लिम-विरोधी पोस्ट की वजह से चीनी नागरिक सड़कों पर उतर आए थे। जिसके बाद भीड़ को शांत करने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया था।
