योगी आदित्यानाथ ने जबसे उत्तर प्रदेश में सत्ता की कमान संभाली है, कई कारोबारियों के बुरे दिन लग गए हैं। कारोबारियों का कहना है सीएम योगी ने एक ऐसा फरमान जारी कर दिया है जिससे इनकी लुटिया ढूब गई है।
दरअसल, योगी ऐसों के पीछे हाथ धोकर पड़े हैं जो प्रदेश को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं, फिर ये धंधा तो सीधे गंगा से जुड़ गया है। जो यूपी सरकार की नाक का सवाल बना है। यूपी चुनाव में गंगा को निर्मल करने के बड़े-बड़े वादे किए गए थे तो अब वक्त आ गया है उन्हें पूरा करने का। जानिए क्या है पूरा मामला...
जल प्रदूषण को लेकर सीएम योगी ने खास निर्देश देते हुए कहा है कि उत्तर प्रदेश में उन्हें काम बंद करने का आदेश दिया जाएगा जिसकी वजह से गंगा का पानी दूषित हो रहा हो। अब ये फरमान कई लोगों के लिए बड़ी आफत बनता नजर आ रहा है।
सबसे बड़ा झटका लगा है गंगा किनारे से बसी टेनरियों को। शिफ्टिंग के आदेश जारी हो चुके हैं। इसके बाद चमड़ा उत्पादन में भारी गिरावट दर्ज की गई है। जनवरी के दूसरे सप्ताह में उत्पादन 40 प्रतिशत था, जो मार्च के अंत तक सिर्फ 10 प्रतिशत रह गया।
प्रदेश सकार के शिफ्टिंग के फरमान के बाद अभी तक कुछ भी तय नहीं होने की वजह से टेनरी संचालक और उसमें काम करने वाले असमंजस में हैं। उनका कहना है कि सरकार सिर्फ शिफ्टिंग की बात कर रही है, लेकिन यह नहीं बता रही है कि कहां ले जाएंगे, कितनी जगह मिलेगी। यह भी परेशानी का सबब बना है।
सभी को शिफ्ट करेंगे या कुछ को। यही वजह है कि मार्च में विदेशों से मिलने वाले आर्डर पर भी रोक लग गई। जाजमऊ में गंगा किनारे करीब 400 टेनरियां स्थापित हैं। इसमें कुछ मानक पूरे नहीं करने की वजह से बंद करा दी गई हैं। इनकी संख्या करीब 100 है। बाकी टेनरियों में थोड़े बहुत काम चल रहा है। जनवरी से पहले जो आर्डर मिला था, वही काम चल रहा है।
अक्टूबर के बाद यह काम भी बंद हो जाएगा। प्रदेश में सपा की सरकार रहते हुए टेनरी संचालकों को लगातार यह आश्वासन दिया जाता रहा कि उन्हें दूसरी जगह नहीं ले जाएंगे। नई सरकार के आते ही सब कुछ बदल गया। जिससे टेनरियों में हड़कंप मच गया है।
कानपुर की जाजमऊ टेनर्स एसोसिएशन लगातार इस मसले पर अपनी बात एनजीटी (नेशनल ग्रीन टिब्युनल) में अपने वकील के माध्यम से रखा रहा है। एसोसिएशन के पदाधिकरी नैयर जमाल और फिरोज आलम का कहना है कि कुछ दिन और ऐसे रहा तो कामकाज ठप हो जाएगा।
17 से ढाई हजार हाइड आ गया चमड़ा
उत्पादन जाजमऊ की टेनरियों से रोजाना 17 हजार हाइड ( कच्चे चमड़े का एक पीस) चमड़े का उत्पादन होता रहा है। पिछले करीब दो महीने से यह गिरकर सिर्फ ढाई हजार हाइड तक आ गया है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अभी तक टेनरियों में चमड़े को भिगोने उसमें केमिकल मिलाकर साफ करने के लिए 10 करोड़ लीटर से भी ज्यादा पानी का प्रयोग होता रहा है। अब यह प्रयोग घटकर सिर्फ दो करोड़ लीटर तक आ गया है। इसी पानी को बाद में डिस्जार्च किया जाता है, जिससे गंगा में प्रदूषण फैलने की बात की जाती है।
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